क़लम की धार से चाहे बदल देना सभी मंज़र सदाकत जो अलग करती नहीं ऐसी दया रखना। क़लम की धार से चाहे बदल देना सभी मंज़र सदाकत जो अलग करती नहीं ऐसी दया रखना।
साड़ी क्यों नहीं पहनती तुम ? पहना करो अच्छी लगती हो ... सूखे पत्तों के बीच, गुलाब की पंखुड़ी लगती... साड़ी क्यों नहीं पहनती तुम ? पहना करो अच्छी लगती हो ... सूखे पत्तों के बीच, ग...
तब मै भी प्रफुल्लित मन से मंगल गीत गाऊंगा, हर्षोल्लास के साथ महिला दिवस मनाऊंगा । तब मै भी प्रफुल्लित मन से मंगल गीत गाऊंगा, हर्षोल्लास के साथ महिला दिवस मनाऊंगा...
मैं औरत हूँ, कभी कभी, यूं भी जी लेती हूँ।। मैं औरत हूँ, कभी कभी, यूं भी जी लेती हूँ।।
नारी तू नारायणी तू ही काली कल्याणी नारी तू नारायणी तू ही काली कल्याणी
पी कर हलाहल मैंने उसे मुस्कुराते देखा है! पी कर हलाहल मैंने उसे मुस्कुराते देखा है!